पसमांदा मुस्लिमों की हितैषी बनने वाली BJP के सामने रखी ये मांग... उलेमा काउंसिल ने उठाया बड़ा मुद्दा! - India Nows 24
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पसमांदा मुस्लिमों की हितैषी बनने वाली BJP के सामने रखी ये मांग... उलेमा काउंसिल ने उठाया बड़ा मुद्दा!

राष्ट्रीय उलेमा काउंसिल बीजेपी के सामने यह एक ऐसी शर्त रख दि है जिससे बीजेपी बॉखला जाएगी


लखनऊ। राजधानी में राष्ट्रीय उलेमा काउंसिल ने गुरुवार को मांग उठाई कि अगर बीजेपी सच में पसमांदा मुसलमानों की हितैषी है तो वह अनुच्छेद 341 से धार्मिक प्रतिबंध हटाए, जिससे मुसलमान, दलितों और ईसाई दलितों को अनुसूचित जाति का आरक्षण मिल सके। साथ ही आज की तारीख को राष्ट्रीय उलेमा काउंसिल ने पूरे देश में 'अन्याय दिवस' के रूप में मनाया। राष्ट्रीय उलेमा काउंसिल का कहना है कि आज के ही दिन 1950 में उस वक्त की मौजूदा कांग्रेस सरकार की ओर से एक विशेष अध्यादेश लाकर संविधान के अनुच्छेद 341 में संशोधन कर धार्मिक प्रतिबंध लगाकर मुस्लिम और ईसाई दलितों को अनुसूचित जाति के आरक्षण से बाहर कर उनसे उनका आरक्षण का हक छीना गया था।

काउंसिल ने गुरुवार को यूपी, असम, दिल्ली, राजस्थान और तमिलनाडु जैसे अलग-अलग राज्यों में अपने संगठन के माध्यम से आज के दिन को अन्याय दिवस के रूप में मनाया। यूपी के लखनऊ ,जौनपुर, कुशीनगर, बहराइच, कानपुर ,आजमगढ़, फिरोजाबाद ,शाहजहांपुर, अलीगढ़, चंदौली, जालौन, उरई, हमीरपुर और सहारनपुर की जिला यूनिट ने जिलाधिकारी कार्यालय पर प्रधानमंत्री को संबोधित ज्ञापन जिलाधिकारी को सौंपा।

लखनऊ में पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता तलहा रशादी के नेतृत्व में ज्ञापन दिया गया। इस मौके पर तलहा ने कहा कि आजादी का पहला उद्देश्य था कि सभी नागरिकों को सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक विकास के समान अवसर उपलब्ध हों। उन्होंने कहा कि आरक्षण की सुविधा धर्म, जाति, वर्ग, नस्ल और लिंग के भेदभाव से परे होनी चाहिए, जिससे आम लोगों का जीवन सुधर सके लेकिन जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व वाली स्वतंत्र भारत की पहली कांग्रेस सरकार ने समाज के अलग-अलग दलित वर्गों के साथ भेदभाव करते हुए संविधान में आरक्षण से संबंधित अनुच्छेद 341 में संशोधन कर धार्मिक प्रतिबंध लगा दिया।

तलहा ने आगे कहा कि धर्म विशेष को छोड़ समाज के अन्य धर्म से संबंध रखने वाले दलितों को 1936 से मिल रहे आरक्षण को छीन लिया जो कि भारतीय संविधान के मूलभूत सिद्धांतों के ही खिलाफ था। उन्होंने कहा कि सरकार के खिलाफ आंदोलन होने पर 1956 में सिखों को और 1990 में बौद्ध धर्म के मानने वालों को नए संशोधन कर इस सूची में जोड़ लिया गया लेकिन मुस्लिम और ईसाई वर्ग के दलित आज भी इससे वंचित हैं। उन्होंने कहा कि मुस्लिमों के आज की तारीख में पिछड़ेपन का एक बड़ा कारण है , उन्हें सही रूप में आरक्षण का लाभ न मिलना। 

राष्ट्रीय उलेमा काउंसिल ने कहा कि बीजेपी जो कि अपने आप को आजकल पसमांदा मुसलमानों का हितैषी बता रही है। अगर वह सच में इनकी हितैषी है तो इस प्रतिबंध को तत्काल हटाकर मुस्लिम और ईसाई वर्ग के दलित को न्याय दें। इन्हीं पहलुओं की तरफ ध्यान आकर्षित करते हुए काउंसिल ने पीएम मोदी को संबोधित एक ज्ञापन अलग-अलग जगहों पर जिला प्रशासन को सौंपा है।

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